DELHI:-विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर चीन की यात्रा पर हैं। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद जयशंकर की चीन की यह पहली यात्रा है। जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब दोनों देश तनाव कम करने और गलवान झड़प के बाद बिगड़े संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। चीन से पहले जयशंकर सिंगापुर गए थे।जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की यात्रा के बाद हो रही है। राजनाथ सिंह और अजित डोवाल जून में SCO की मीटिंग में शामिल होने के लिए चीन गए थे।जयशंकर ऐसे वक्त चीन पहुंचे हैं, जब हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और दलाई लामा के चुनाव को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर पड़ा है।
जयशंकर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए चीन पहुंचे हैं। SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक 15 जुलाई को तियांजिन में होनी है। इससे पहले जयशंकर बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।SCO बैठक पर चीन के विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा का अलग से जिक्र किया। चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘SCO के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 15 जुलाई को होगी। विदेश मंत्री वांग यी के न्योते पर SCO के सदस्य देशों के विदेश मंत्री बैठक में हिस्सा लेंगे। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर भी चीन की यात्रा पर आएंगे।’जयशंकर और वांग यी के बीच आखिरी मुलाकात इस साल फरवरी में हुई थी। दोनों की मुलाकात जोहान्सबर्ग में G20 की मीटिंग के दौरान हुई थी। तब दोनों पक्षों ने आपसी भरोसे और समर्थन का आह्वान किया था।दोनों देशों के बीच संबंध को देखते हुए यह यात्रा काफी मायने रखती है। पांच साल में पहली बार जयशंकर चीन पहुंचे हैं।यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब दोनों देशों के संबंध बहुत खास नहीं है। चीन ने भारत को किए जाने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट, फर्टिलाइजर और टनल बोरिंग मशीन जैसे कई एक्सपोर्ट को डिले किया है।इसके अलावा, मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को समर्थन करने का मुद्दा भी दोनों देशों के बीच तनाव की एक वजह है।इससे पहले जून में SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि इसमें पहलगाम अटैक का जिक्र नहीं था।