नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने की क्या है कहानी, पढ़े और जानें

दिल्ली: आज 29 जुलाई 2025 को नाग पंचमी का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। नाग पंचमी का पर्व हर वर्ष सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार नागों को हमेशा हिंदू धर्म में नाग देवता के रूप में पूजा जाता है। इसीलिए नागों का हमारे धर्म में एक विशेष स्थान है।

नाग पंचमी के पर्व पर भक्तों के द्वारा मिट्टी से सर्प बनाकर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना, यज्ञ आदि किया जाता है। भक्तों के द्वारा सर्पो को दूध पिलाया जाता है।

हिंदू धर्म में नाग पंचमी के पर्व पर गुड़िया पीटने की परंपरा है। इस परंपरा से जुड़ी कई प्रसिद्ध और लोकप्रिय पौराणिक कहानी है। जिनमें से एक कहानी एक महादेव भक्त की है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक लड़का भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था। वह प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करने के लिए मंदिर जाया करता था। मंदिर में भोलेनाथ की पूजा अर्चना के दौरान उसे नाग देवता के भी दर्शन होते थे। एक बार की बात है सावन का पवित्र महीना चल रहा था और वह पहली बार अपनी बहन को लेकर भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिर आया हुआ था। भाई-बहन ने विधिवत भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की और शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। भाई-बहन की पूजा से प्रसन्न होकर नाग देवता उन दोनों के पास आकर उन्हें दर्शन दिए।

नाग लड़के के पैर में लिपट गया, यह देखकर लड़के की बहन डर गई। उसे लगा कि कहीं सांप उसके भाई को काट न ले, इसलिए उसने पास में पड़े एक डंडे से सर्प को पीटना शुरू कर दिया। जिससे सांप की मौत हो गई थी। भाई सांप की मृत्यु पर बहुत दुखी हो रहा था।

लड़के ने ये बात एक पुजारी को बताई, उन्होंने लड़के से कहा कि एक निर्दोष सांप की मृत्यु करने के कारण बहन पर सर्प दोष लग गया है, जिसके कारण तुम्हारी बहन को कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। भाई ने इस दोष से मुक्ति पाने का उपाय पूछा तो पुजारी ने उसे कपड़े की एक गुड़िया बनाने को कहा। लड़के ने पुजारी के द्वारा बताए गए नियमों का पालन किया, उसने कपड़े की एक गुड़िया बनाई और उसे 11 बार सीधा और 11 बार उल्टा पीटना शुरू कर दिया। फिर उसने गुड़िया को जमीन में एक गहरा गड्ढा खोज कर उसे गाड़ दिया। इसके बाद नाग देवता की विधिवत पूजा-अर्चना की। भाई के ऐसा करते ही बहन को सर्प दोष से मुक्ति मिल गई। कहा जाता है कि तभी से नाग पंचमी पर गुड़िया को पीटे जाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि नाग देवता को किसी भी प्रकार का कष्ट न हो।

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