दिल्ली:- हिंदुस्तान का पहला स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत ‘निस्तार’ शुक्रवार को नौसेना में शामिल किया गया, जो एक बड़ी समुद्री उपलब्धि है। निस्तार का निर्माण मूल रूप से 29 मार्च, 1971 को हुआ था और इसने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान विशाखापत्तनम बंदरगाह के बाहरी क्षेत्र में डूब गई पाकिस्तान की पनडुब्बी गाजी की पहचान करने और पूर्वी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
1989 में सेवामुक्त किए गए निस्तार का वजन 800 टन था, जिसका पुनरुद्धार करने के बाद अब वजन 10,500 टन है, और यह 120 मीटर लंबा है।
नौसेना प्रमुख (सीएनएस) एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि नया निस्तार एडवांस्ड सैचुरेशन डाइव सिस्टम और पनडुब्बियों सहित गहरे जलीय बचाव जहाजों को बचाने की क्षमता के साथ अपनी विरासत को आगे बढ़ाएगा। एडमिरल त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा कि पुराने जहाज कभी नहीं मरते, वे हमेशा एडवांस्ड रूप में लौटते हैं।
आईएनएस निस्तार, भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल, अब भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गया है। विशाखापत्तनम में आयोजित समारोह में इसे रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में शामिल किया गया। यह जहाज 300 मीटर गहराई तक डाइविंग और रेस्क्यू में सक्षम है।
आईएनएस निस्तार को पूरी तरह भारत में ही डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। इसका निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने किया।
INS निस्तार 300 मीटर तक की गहराई में जाकर काम कर सकता है और इसका निर्माण भारतीय शिपिंग रजिस्टर के नियमों के तहत किया गया है। इससे नौसेना की गहराई में मिशन संचालित करने की क्षमता में बड़ा इज़ाफा होगा।