तुलसीदास जी ने प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर रामलीला को गांव-गांव, घर-घर पहुंचाया: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि संत शिरोमणि तुलसीदास जी और त्रिकालदर्शी ऋषि वाल्मीकि जी की पावन धरा चित्रकूट अपने आप में हजारों वर्षों का इतिहास समेटे हुए है। अनेक ऋषि मुनियों, दिव्य संतों ने इस धरती को अपनी साधना की सिद्धि का आधार बनाया। प्रभु श्रीराम ने वनवास कालखण्ड का सर्वाधिक समय चित्रकूट की धरती पर व्यतीत किया था। यहां की विरासत हम सबको एक नई प्रेरणा देती है। देश और दुनिया आज भी चित्रकूट की महिमा उसी रूप में लेती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार जनपद चित्रकूट में विरासत और विकास को तीव्र गति से आगे बढ़ा रही है। उन्होंने राजापुर में यमुना जी के घाट का सौन्दर्यीकरण करने व रिवरफ्रन्ट बनाने की बात कही।

मुख्यमंत्री ने आज जनपद चित्रकूट में संत तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर में तुलसी जयंती के अवसर पर आयोजित ‘तुलसी साहित्य समागम’ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने तुलसी जन्म कुटीर में दर्शन-पूजन किया और मानस मन्दिर में रखी गोस्वामी तुलसीदास जी की हस्तलिखित श्रीरामचरितमानस की पाण्डुलिपि का अवलोकन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संवत् 1554 में राजापुर में जन्में तुलसीदास जी ने उस कालखण्ड में सनातन धर्म के माध्यम से एक नई क्रांति को जन्म दिया था। संत तुलसीदास जी ने किसी राजा का दरबारी कवि न बनकर प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना जीवन समर्पित किया। गुलामी के उस कालखण्ड में भी कुछ ऐसी दिव्य विभूतियां थीं, जिन्होंने बिना रुके-बिना डिगे-बिना झुके भक्ति और शक्ति के अद्भुत संगम को खड़ा करके जन चेतना को जागरूक करने का कार्य किया तथा उस समय की व्यवस्था को एक नया आयाम दिया। संत तुलसीदास जी ने उस कालखण्ड में रामलीला को गांव-गांव, घर-घर पहुंचाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता दुनिया के कई देशों में देखी जा सकती है। मॉरीशस इसका प्रमुख उदाहरण है। मॉरीशस में लोगों के घरों में पूजा स्थल पर श्रीरामचरितमानस देखी जा सकती है। श्रीरामचरितमानस वहां के लोगों के जीवन का हिस्सा है। वहां भी रामलीलाओं का मंचन होता है। ‘श्रद्धावान लभते ज्ञानम्’ का भाव हमने वहां के लोगों में देखा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें विरासत व विकास दोनों को साथ लेकर चलना है, जो आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा प्रदान करेगा। भारत की समृद्ध विरासत के संरक्षण के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा। चित्रकूट स्थित राजापुर और लालापुर दोनों इस पूरे अभियान के साथ जुड़े हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘चित्रकूट महिमा अमित, कही महामुनि गाइ’। आदि महाकाव्य रामायण और श्रीरामचरितमानस की रचना का आधार चित्रकूट है। जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के सम्बन्ध में अपने साक्ष्यों व ओजस्वी वाणी से सबको आश्चर्यचकित किया। पूज्य मुरारी बापू की श्रीराम कथा सबका मन मोह लेती है। यह ईश्वर की सिद्धि व कृपा ही है। मुरारी बापू द्वारा सन्त तुलसीदास जी की स्मृति को जीवन्त बनाए रखने के लिए यहां पर अच्छा कार्य किया जा रहा है। इन पूज्य संतों की वाणी में जो दिव्यता और तेज है, यह प्रभु की ही सिद्धि है।

इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहर लाल मन्नू कोरी सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज, कथा व्यास पूज्य मुरारी बापू तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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