महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच बंद कमरे में हुई बैठक

महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच बंद कमरे में हुई बैठक

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Chief Minister Devendra Fadnavis) और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (former CM Uddhav Thackeray) के बीच बंद कमरे में बैठक हुई है। ये मीटिंग विधान परिषद के सभापति राम शिंदे के कक्ष में हुई। दोनों नेताओं के अलावा कमरे में कोई अन्य मौजूद नहीं था। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच तकरीबन 10 मिनट बंद कमरे में चर्चा। हालांकि इस बैठक में हुई चर्चा की जानकारी अभी सामने नहीं आई है।

बंद कमरे में मीटिंग से पहले उद्धव ठाकरे ने अपने विधायक बेटे आदित्य ठाकरे के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और विधान परिषद के सभापति राम शिंदे से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राम शिंदे को अलग-अलग संपादकों द्वारा मराठी भाषा और हिंदी की अनिवार्यता के संदर्भ में लिखे हुए संपादकीय और स्तंभ के संकलन की पुस्तक भेंट की।

बताया जा रहा है कि विधानसभा में विपक्ष के नेता पद, त्रिभाषा फार्मूले और हिंदी अनिवार्यता को लेकर उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच चर्चा हुई। हिंदी अनिवार्य क्यों है? यह पुस्तक उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस को दी थी। देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे से कहा कि वे यह पुस्तक समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी दे दें। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का पद अभी भी नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री के साथ एन्टीचैंबर में चर्चा की। इस अवसर पर ठाकरे की शिवसेना के कुछ विधायक भी मौजूद थे।

इससे पहले बुधवार को फडणवीस ने कहा कि उद्धव ठाकरे “सत्ता पक्ष में एक अलग तरीके से आ सकते हैं।” महाराष्ट्र विधानसभा को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि 2029 तक भाजपा के विपक्ष में आने की कोई गुंजाइश नहीं है। फडणवीस ने कहा, “कम से कम 2029 तक हमारे वहां (विपक्ष) आने की कोई गुंजाइश नहीं है। उद्धव जी इस तरफ (सत्ता पक्ष) आने की गुंजाइश के बारे में सोच सकते हैं और उस पर अलग तरीके से विचार किया जा सकता है, लेकिन हमारे वहां (विपक्ष) आने की कोई गुंजाइश नहीं बची है।” बता दें कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन 2019 तक था लेकिन चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद हुए और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया। उद्धव ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार बना ली।

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