नई दिल्ली: हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हेपेटाइटिस जैसे गंभीर लीवर रोग को लेकर जागरूकता फैलाना और समय पर जांच व इलाज के लिए लोगों को प्रेरित करना है।
साल 2025 की थीम है ‘हेपेटाइटिस: लेट्स ब्रेक इट डाउन’, यानी अब समय आ गया है कि हेपेटाइटिस से जुड़ी हर बाधा को तोड़ा जाए और इस ‘साइलेंट किलर’ के खिलाफ जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई की जाए।
हेपेटाइटिस एक वायरल संक्रमण है, जो लीवर में सूजन पैदा करता है और लिवर सिरोसिस, फेल्योर और लिवर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस के पांच प्रकार (A, B, C, D और E) होते हैं, जिनमें हेपेटाइटिस B और C सबसे घातक माने जाते हैं क्योंकि ये लंबे समय तक शरीर में रहकर लीवर को स्थायी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल दुनिया भर में करीब 30 लाख लोग हेपेटाइटिस से प्रभावित होते हैं। भारत की बात करें तो यहां करीब 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस B और 60 लाख लोग हेपेटाइटिस C से ग्रसित हैं।
लक्षणों के स्पष्ट न होने की वजह से अधिकांश मरीज देर से इलाज कराते हैं, जिससे रोग गंभीर हो जाता है। यही कारण है कि मेडिकल साइंस में इसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है।
भारत सरकार ने हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिए ‘राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम’ शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस को खत्म करना है। इस कार्यक्रम के तहत मुफ्त जांच, टीकाकरण और इलाज की सुविधा दी जा रही है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस का मुख्य संदेश यही है, लक्षण नजरअंदाज न करें, समय पर जांच कराएं। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।